शरीफ पर विश्वास करने की कोई वजह भी नहीं है। पाकिस्तान जब तक सीमा पार से आतंकवाद को नहीं रोकता, तब तक भारत को उससे क्यों बात करनी चाहिए?

जी-20 इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह संयुक्त राष्ट्र के सभी पांच स्थायी सदस्यों, G-7 के सभी सदस्यों और सभी BRICS देशों का प्रतिनिधित्व करता है।

हमें समझना होगा कि महिला सुरक्षा को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति से कोई भी समझौता होगा, तो निर्भया, कंझावला जैसे मामलों पर रोक नहीं लग सकेगी।

2023 में जो एक चुनौती दिख रही है वो रोजगार के क्षेत्र से आती दिख रही है। हालांकि दुनिया के मुकाबले भारत में बेरोजगारी की स्थिति उतनी भयावह नहीं है लेकिन हालात कोई बहुत अच्छे भी नहीं हैं।

दुनिया को और खासकर अमेरिका को यह बात समझनी होगी कि यूक्रेन-रूस युद्ध का अंत यूक्रेन के हाथ में नहीं है। नाटो के देश और खुद अमेरिका के साथ बातचीत से ही इस युद्ध का शांतिपूर्ण अंत हो सकता है।

जाहिर है लगातार मजबूत होता जा रहा भारत चीन की आंखों में चुभता है। भारत खुद एक परमाणु शक्ति है, इसलिए खुले मैदान में तो लाल सेना की हिम्मत नहीं कि वो हिंद के वीरों को चुनौती दे सके।

यह भी मानना होगा कि विधानसभा चुनावों में आगे की कई चाल पहले से सोच कर विपक्षियों को धूल चटाने में माहिर हो चुकी बीजेपी एमसीडी चुनाव में आम आदमी पार्टी की ‘कल्पनाशीलता’ के सामने कमजोर साबित हुई।

पड़ोस में मची ऐसी अफरातफरी के बीच भारत को भी सतर्क रहने की जरूरत है। इतिहास बताता है कि अशांत चीन और अराजक पाकिस्तान भारत को मुश्किल में डालने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।

सियासी अश्वमेध के घोड़े अब गुजरात की दहलीज पर खड़े हैं और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी मतदान से पहले ही जीत का दम भर रही है. 

एक मज़बूत नेतृत्व की पहचान परीक्षा की घड़ी में होती है और परीक्षा की ये घड़ी तब आती है जब विपत्तियों का पहाड़ खड़ा हो। वैसे तो विपत्तियों से सभी संघर्ष करते हैं, लेकिन संघर्ष करने के भी अपने-अपने तरीके होते हैं। ये तरीके तीन तरह के हैं। पहला कठिन परिश्रम, दूसरा हालात के मुताबिक …